उज्जैन (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में एक अनोखा मंदिर है, जहां ज्ञान की देवी मां सरस्वती का अभिषेक जल या दूध से नहीं, बल्कि स्याही से किया जाता है। यह मंदिर 300 साल पुराना है और सिंहपुरी इलाके में स्थित है।
वसंत पंचमी पर विशेष महत्व
वसंत पंचमी के दिन इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। छात्र-छात्राएं मां सरस्वती की प्रतिमा पर स्याही चढ़ाकर अच्छे अंकों और सफलता की कामना करते हैं। मान्यता है कि स्याही ज्ञान का प्रतीक है और मां सरस्वती को स्याही अर्पित करने से वे ज्ञान और बुद्धि प्रदान करती हैं।
मंदिर का इतिहास:
कहा जाता है कि यह मंदिर 18वीं शताब्दी में मुगल काल के दौरान बनाया गया था। मंदिर में स्थापित मां सरस्वती की प्रतिमा काले पत्थर की बनी हुई है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि स्याही से अभिषेक की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
विशेष पूजा-अर्चना:
वसंत पंचमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। सुबह से ही भक्तों की कतार लग जाती है। मां सरस्वती को स्याही, फूल, माला, चंदन, और मिठाई चढ़ाई जाती है। छात्र-छात्राएं अपनी किताबें और कलम भी मां सरस्वती के चरणों में रखकर आशीर्वाद लेते हैं।
आकर्षण का केंद्र
यह मंदिर न केवल उज्जैन, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में आकर्षण का केंद्र है। वसंत पंचमी के अलावा भी साल भर भक्त यहां मां सरस्वती के दर्शन करने आते हैं।